कंप्यूटर का वर्गीकरण(Classification of computer)-
आज के समय में कंप्यूटर हर संभव कार्य करने में सक्षम है। कंप्यूटर के द्वारा जहाँ रोजाना का कार्य जैसे दस्तावेज तैयार करना किसी कार्य का आकलन करना आदि कार्य किये जा रहे हैँ। वहीं दूसरी ओर जटिल से जटिल बैज्ञानिक कार्य भी कंप्यूटर के द्वारा आसानी से किये जा रहे हैँ।
कंप्यूटर का वर्गीकरण अब तक संरचना , कार्य पध्दति , कार्य करने की छमता , एवम् उनके आकर और कार्य के आधार पर किया जाता रहा है। कल तक जो छमता मिनी कंप्यूटर व् वर्कस्टेशन और मेनफ्रेम कंप्यूटर की होती थी वहीँ आज का पर्सनल कंप्यूटर (PC) और अधिक सक्तिशाली हो गया है।
कंप्यूटर के कार्य करने की छमता में जितना तेजी से विकास हो रहा है उसे देखते हुए कंप्यूटर को एक वर्ग विशेष की परिधि में सिमित करना अनुचित होगा।
कंप्यूटर को बेहतर समझने के लिए इन्हें तिन वर्गों में बाटा गया है।
1.हार्डवेयर उपयोग के आधार पर-
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर।
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर।
पाचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर।
आपको पिछली पोस्ट में कंप्यूटर की पीढ़ियों के बारे में बताया गया है आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं।
2. कार्य पद्धति के आधार पर-
एनलॉग कंप्यूटर। (ANALOG COMPUTER)
डिज़िटल कंप्यूटर (DIGITAL COMPUTER)
हाइब्रिड कंप्यूटर। (HYBRID COMPUTER)
एनलॉग कंप्यूटर- (ANALOG COMPUTER)
इसमें बिद्युत के एनलॉग रूप का प्रयोग किया जाता है। इसकी गति धीमी होती है। एनलॉग कंप्यूटर अध्ययन किये जा रहे प्रणाली का एक मॉडल तैयार करता है। एनलॉग कंप्यूटर में सभी प्रचलन समान्तर तरीके से होते है। इनका प्रयोग मुख्य रूप से तकनिकी तथा वैज्ञानिक क्षेत्र में होता है।
साधारण घड़ी , वाहन का गति मीटर आदि एनलॉग कंप्यूटिंग के उदाहरण हैँ।
डिजिटल कंप्यूटर (DIGITAL COMPUTER)
डिजिटल कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक संकेतो पर चलते हैं। तथा गाड़ना के लिए द्विआधारि अंक (BINARY SYSTEM 0 या 1) पद्धति का प्रयोग किया जाता है। डिज़िटल कंप्यूटर एक ऐसा विद्युतीय गड़नात्मक उपकरण है जो संख्यात्मक और प्रतीकात्मक जानकारी को निर्दिष्ट गड़नात्मक प्रकियाओं के अनुरूप बदलता है। इनकी गति तिब्र होती है। आज के समय में प्रचलित अधिकांश कंप्यूटर इसी प्रकार के हैं। उदाहरण स्वरूप्- पर्सनल कंप्यूटर (PC)
पॉकेट कंप्यूटर , मेनफ़्रेम कंप्यूटर आदि।
हाइब्रिड कंप्यूटर (HYBRID COMPUTER)
हाइब्रिड कंप्यूटर (HYBRID COMPUTER) एनलॉग कंप्यूटर (ANALOG COMPUTER) और डिजिटल कंप्यूटर (DIGITAL COMPUTER) का मिश्रीत रूप है। हाइब्रिड कंप्यूटर में पहले एक एनलॉग कंप्यूटर का प्रयोग अग्रांत रूप से बेहतरीन लेकिन अपरिपक्व आकड़ा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। उसके बाद मिले परिणाम को डिज़िटल कंप्यूटर में वांछित विशुद्ध परिणाम पाने के लिए भरा जाता है। इसमें गाड़ना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिज़िटल रूप का प्रयोग किया जाता है। इनपुट और आउटपुट (INPUT OUTPUT) में एनलॉग संकेतो का उपयोग होता हैं। इनका उपयोग मुख्य रूप से अस्पताल रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।
3. आकर और कार्य के आधार पर-
मेनफ़्रेम कंप्यूटर (MAINFRAME C.)
मिनी कंप्यूटर (MINI COMPUTER)
माइक्रो कंप्यूटर (MICRO COMPUTER)
सुपर कंप्यूटर (SUPER COMPUTER)
मेनफ़्रेम कंप्यूटर
(MAINFRAME COMPUTER)
मेनफ़्रेम कंप्यूटर आकार में काफी बड़े होते हैं।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर की संख्या भी अधिक होती है।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर अपनी एकल संगड़नात्मक कार्यगति एवम् क्षमताओं के लिए नहीं बल्कि आंतरिक इंजियनियरिग उच्च विस्वसनीयता एवम् व्यापक सुरक्षा उत्पादन सुबिधाएं और उच्चदर्जिय उपयोग का भारी समर्थन करने के लिए माने जाते हैं।
मेनफ़्रेम कंप्यूटर के कार्य करने और संग्रहण की क्षमता अत्यंत अधिक तथा अत्यंत तिब्र होती है।
इनपर कई लोग अलग अलग कार्य कर सकते है। इनका उपयोग बड़ी कंपनिया , बैंक , अंतरिक्ष , अनुसन्धान आदि क्षेत्र में किया जाता है।
मिनी कंप्यूटर (MINI COMPUTER)
इनका आकार मेनफ़्रेम कंप्यूटर से छोटा तथा माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा होता है। इनका आकार लगभग एक फ्रीज़ जितना होता है।
मिनी कंप्यूटर में एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर (MICRO PROCESSOR) का प्रयोग किया जाता है। इनकी गति तिब्र होती है। मिनी कंप्यूटर पर कई व्यक्ति एक साथ काम सकते हैं।
इनका उपयोग मुख्य रूप से यात्री आरक्षण , बड़े ऑफिस अनुसन्धान आदि में किया जाता है।
माइक्रो कंप्यूटर (MICRO COMPUTER)
इसका विकास 1970 से प्रारम्भ हुआ जब सीपीयू (CPU) में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा। माइक्रो कंप्यूटर (MICRO COMPUTER) का प्रभावशाली प्रोधोगिक तकनीक , व्यक्तिगत संगड़क तथा कार्य स्थल संगड़क के पीछे प्रमुख रूप से र
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