कंप्यूटर मेमोरी –
मेमोरी कंप्यूटर की स्टोरेज यूनिट है। यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसमें हम डाटा प्रोग्राम आदि को स्टोर करके रख सकते है। इसको नापने की साईज के आधार पर कई यूनिट है। जैसे बाईट, सबसे छोटी यूनिट बाईट एवं सबसे बडी यूनिट टेराबाईट होती है।
यह दो प्रकार की होती है।
Primary Memory
Secondary Memory
प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)
प्राइमरी मेमोरी :- इस मैमोरी को Main Memory भी कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है।
RAM
ROM
RAM (Random Access Memory)
इसका पूरा नाम Random Access Memory है। इसकी निम्न विशेषताएँ होती है।
इसको कम्प्यूटर की प्रमुख मैमोरी कहा जाता है।यह अस्थाई मैमोरी होती है। अर्थात् इसमें स्टोर डाटा कम्पयूटर बंद होने पर डिलिट हो जाता है। जिसका पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है।यह Volatile Memory कहलाती है।यह Semiconductor or Flip Flop से मिलकर बनी Memory होती है।यह निम्न प्रकार की होती है। जैसे SRAM, DRAM SID RAM etc.
SRAM
इसका पूरा नाम Static Random Access Memory है। || यह Flip Flop से मिलकर बनी होती है। इसलिये यह कम Refresh होती है।
DRAM
इसका पूरा नाम Dynamic Random Access Memory है। यह मेमोरी जल्दी जल्दी रिफ्रेश होती है। Refresh का मतलब Electronic Charge or Discharge से होता है। यह एक सेकंड में हजारों बार रिफ्रेश होती है। अतः इसकी गति धीमी होती है। यह अन्य रेम की अपेक्षा सस्ती होती है।
SD RAM
इसका पूरा नाम Synchronous Dynamic Random Access Memory है।
NV RAM
इसका पूरा नाम Non Volatile Random Access Memory है। इस रेम का प्रयोग नेटवर्क डिवाइस में हार्डडिस्क के रूप में किया जाता है। यह एक मंहगी मैमोरी होती है।
ROM (Read Only Memory)
ROM का पूरा नाम Read Only Memory है। यह कम्प्यूटर की Primary Memory होती है। यह स्थाई मैमोरी होती है। इसमें कम्प्यूटर को स्टार्ट करने वाले प्राथमिक प्रोग्राम एवं सेटिंग होती है। यह तीन प्रकार की होती है।
PROM
EPROM
EEPROM
PROM
इसका पूरा नाम Programmable Read Only Memory है। इस चिप में एक बार प्रोग्राम स्टोर किया जा सकता था। यदि प्रोग्राम में त्रुटि (Error) होने पर उसमें कोई सुधार नहीं किया जा सकता है।
EPROM
इसका पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory है। इस चिप में स्टोर प्रोग्राम में सुधार किया जा सकता है। चिप में सुधार करने के लिये चिप को बोर्ड से निकाल कर पराबैगनी (Ultraviolet Ray) के सामने रखा जाता था।
EEPROM
इसका पूरा नाम Electronic Erasable Programmable Read Only Memory है। इस चिप ने EPROM की समस्या को दूर किया है। इस चिप में स्टोर प्रोग्राम एवं डाटा में सुधार करने के लिये विद्युत का प्रयोग किया गया था। आजकल के मदरबोर्ड में इसी रोम का प्रयोग किया जा रहा है।
सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस(Secondary Memory)
Secondary Storage Device को Auxiliary Storage Device भी कहा जाता है। यह कंप्यूटर का भाग नहीं होती है। इसकी Storage क्षमता अधिक होती है। एवं डाटा को ऐक्सेस करने कि गति Primary Memory से धीमी होती है।
डाटा को ऐक्सेस करने के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है।
Sequential Access Device – इस क्रिया के Storage Data को उसी क्रम में ऐक्सेंस किया जाता है जिस क्रम में स्टोर किया जाता है। चुम्बकीय टेप इसी का उदाहरण है।
Index Sequential Access Method –इसमें डाटा को Sequential Access method से ही डाटा को एक्सेस किया जाता है। लेकिन इसमें डाटा को स्टोर करते समय एक इंडेक्स तैयार कर लिया जाता है।
Direct Access Method – इसमें डाटा को किसी भी क्रम में ऐक्सेस किया जा सकता है। इसकी ऐक्सेस गति सिरियल ऐक्सेस की तुलना में अधिक होती है।
स्टोरेज डिवाइस के प्रकार:
चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape) :-
Magnetic Tape एक स्थाई द्वितीयक स्टोरेज डिवाइज है। इसमें एक प्लास्टिक के टेप पर चुम्बकीय पदार्थ (Magnetic oxide) का लेप लगा रहता है।
कार्टेज टेप (Cartridge Tape) :-
इस टेप की चौडाई चुम्बकीय टेप से कम होती है। 1970 के दशक के अंत में घरेलू कम्प्यूटरों में कॉम्पेक्ट कैसेट का प्रयोग किया जाता था
चुम्बकीय डिस्क (Magnetic Disk) आजकल डाटा को स्टोर करने के लिए चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया जा रहा है। चुम्बकीय डिस्क दो प्रकार की होती है।
Floppy Disk (फ्लॉपी डिस्क)
Hard Disk (हार्ड डिस्क)
फ्लॉपी डिस्क:- फ्लॉपी डिस्क को डिक्केट या फ्लॉपी भी कहा जाता है। इसका प्रयोग माइको कम्प्यूटर में होता है। यह आकार एवं साईज के आधार पर दो प्रकार की होती है।
Mini Floppy :- यह आकार में 5.25 इंच की होती है, संग्रहण क्षमता 1.2 MB होती है। इनकी Drive भी आकार में इसी के आकार की हो
Micro Floppy :- यह आकर 3.50 इंच की होती है। इनकी संग्रहण क्षमता 1.4 MB होती है।
हार्ड डिस्क :- हार्ड डिस्क का विकास कम्प्यूटर में डाटा को स्टोर करने के लिये किया गया था आज कल इसका प्रयोग कम्प्यूटर से आगे बढकर कई क्षेत्रों में हो रहा है। डिस्क की प्लेट में Track और Sector होता है। एक सेक्टर में डाटा स्टोर होता है।
Hard Disk Drives - data transfer rate सबसे अधिक होती है। यह 128 GB से कई TB तक की आती है।
डाटा को स्टेार एवं पढ़ने के लिये तीन तरह के समय लगते है। जो निम्न है।
Seek Time :- डिस्क में डाटा को रीढ़ या राईट करने वाले Track तक पहुंच में लगा समय सीक टाइम कहलता है।
Latency time :- Track से डाटा को Sector तक पहुंच में लगा समय लेटेंसी टाईम कहलाता है।
Transfer Rate :- Sector में डाटा को लिखने एवं पढने में जो समय लगता है। उसे Transfer Rated कहा जाता है।
ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk):- ओप्टिकल डिस्क वे डिस्क होती है। जिसमें डाटा को रीड और स्टोर करने के लिये लाईटा का प्रयोग किया जाता है। ऑपटिकल डिस्क कहलाती है। इस डिस्ट में एक रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है।
Compact Disk (CD)- सामान्यतया 700 MB की होती है। यह दो प्रकार की होती है - CD-R तथा CD-RW
Digital Versatile Disk (DVD) - सामान्यतया 4.7 GB की होती है परन्तु यह 4.7 GB से 17 GB तक की हो सकती है। यह भी दो प्रकार की होती है - DVD-R तथा DVD-RW
Blue ray disks- सामान्यतया 25 GB से 50 GB की होती है
Flash drives - सामान्यतया 2 GB से 16 GB की होती है।
मेमोरी यूनिट (Memory Unit)
Unit Short Name Capacity
Bit Bit 0,1 (Binary Language)
Nibble Nibble 4 bits
Byte Byte 8 bits
Kilo Byte KB 1024 Bytes=1 KB
Mega Byte MB 1024KB=1MB
Giga Byte GB 1024MB=1 GB
Tera Byte TB 1024 GB= 1TB
Peta Byte PB 1024 TB = 1 PB
Exa Byte EB 1024 PB = 1 EB
Zetta Byte ZB 1024 EB = 1 ZB
Yotta Byte YB 1024 ZB = 1 YB
Bronto Byte BB 1024 YB = 1 BB
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